Tuesday, March 9, 2021

धीरे धीरे अब तुम्हें भूलना चाहता हूँ ....

यूँ तो तुम्हारे लिखे हुए सारे खत,
और दिए हुए ग्रीटिंग कार्ड्स,
आज भी संभालकर रखे हैं मैंने।
लेकिन कभी कभी लगता है मुझे,
मेरे बाद कौन संभालेगा इन धरोहरों को। 
इसीलिए अब, पता भेज दो अपना। 
तुम्हें सब वापस लौटाना चाहता हूँ,
धीरे धीरे अब तुम्हें भूलना चाहता हूँ। 
© शलभ गुप्ता 

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