Thursday, May 5, 2022

"अमलतास.."

मिल जाते हैं जब भी मुझे,
बैठा लेते हैं अपनी छाँव में। 
करते हैं फिर ढेरों बातें,
वृक्ष यह अमलतास के।  
@ शलभ गुप्ता 
फोटो : 
आज सुबह, मेरे मोबाइल की नज़र से। 


 

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