Sunday, September 27, 2009

"रिश्तों का अहसास कहाँ हो पाता है ...."



दर्द का अहसास कहाँ हो पाता है ,
दर्द हुए बिना..........
रिश्तों का अहसास कहाँ हो पाता है ,
अकेले हुए बिना............
समय का अहसास कहाँ हो पाता है,
समय खोये हुए बिना.....
मंजिल का अहसास कहाँ हो पाता है ,
रास्ता भटके हुए बिना......

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