I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Monday, August 16, 2010
मेरी कर्नाटक यात्रा - मेरे मित्र शंकर नारायण जी के साथ , एक यादगार यात्रा
शहर के कोलाहल से दूर, ज़िन्दगी की तलाश में,
सूरज की तेज़ तपन से दूर, पेडो की ठंडी छांव में ,
चलते चलते आ गए हम "शंकर जी" के गाँव में।
वैसे तो कुछ दिन ही रहे हम उनके गाँव में,
खुशियाँ सारी समेट ली हमने उनके गाँव में,
चलते चलते आ गए हम "शंकर जी" के गाँव में
प्राकृतिक नज़ारे हर तरफ़ थे भरपूर ,
कदमो में था समुन्दर, पहाड़ थे ज़रा हमसे दूर,
सर्पीले रास्तों पर, नारियल के पेड़ थे भरपूर,
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।
फिर आई सुरमई गीतों की शाम सुहानी,
गूँज रही है धुन अब तक कानों में,
नये लोगो से भी हुई मुलाकात,
जीने का नया फिर अहसास जगा ,
मिलकर उनकी बातों में,
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।
मन तो आख़िर मन है,
ठहर जाऊ यही, लगा सोचने
क्या रखा है संसार की बातों में,
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।
सिर्फ़ तन लेकर लौटा हूँ , मन रह गया वही ,
बीते हुए पल याद आते है बार- बार ,
सफर का हाल सुनाता हूँ जब में ,
तुमको बातों - बातों में ।
तस्वीरे हजारों कैद कर ली हमने अपनी आँखों में ।
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सुन्दर रचना. हम तो पहुंचे थे किसी यात्रा संस्मरण से मुलाक़ात करने परन्तु कविता से पाला पद गया. क्या आप मुरुदेश्वर गए थे.
ReplyDeleteVery true sir ....
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