Thursday, July 21, 2011

कुछ पंक्तियाँ हैं अपनेपन का अहसास लिये....

नये लोग मिले हैं, नये ख्यालात मिले हैं।
मेरे शब्दों को नये अलंकार मिले हैं ।
और जब से मिले हैं आप सब मुझे ,
जीने के मुझे नये आयाम मिले हैं।

===========================

"किसी की पथरायी आँखों के लिए ,
ख़ुशी का "एक आंसू" बन जाऊँ मैं ।
चाहे अगले ही पल बह जाऊँ मैं ।
एक पल में कई ज़िन्दगी जी जाऊँ मैं ,
चाहे अगले ही पल फ़ना हो जाऊँ मैं ।

===========================

बरसात के मौसम में भीगना मुझे यूँ अच्छा लगता है ।
हम कितना भी रो लें, किसी को क्या पता चलता है ।

2 comments:

  1. "किसी की पथरायी आँखों के लिए ,
    ख़ुशी का "एक आंसू" बन जाऊँ मैं ।
    चाहे अगले ही पल बह जाऊँ मैं ।
    एक पल में कई ज़िन्दगी जी जाऊँ मैं ,
    चाहे अगले ही पल फ़ना हो जाऊँ मैं ।

    इस शे'र को पढ़कर मुझे वो गीत याद् आ गया 'तेरी आँख से आंसू पी जाऊ ,ऐसी मेरी तकदीर कहाँ ..

    ReplyDelete