Thursday, September 15, 2011

"मन की तितलियों को उड़ने दिया करो ..."




कभी-कभी अपने दिल की भी सुना करो ।
मन की तितलियों को उड़ने दिया करो ।
ये माना , काम में बहुत मसरूफ हो मगर,
कभी-कभी कुछ लम्हे खुद को भी दिया करो ।
कभी-कभी बारिशों के मौसम में भी भीगा करो।
उदास ज़िन्दगी में , इन्द्रधनुषी रंग भरा करो ।
कभी-कभी दिल कहे अगर, तो खुल कर भी हँसा करो ।
तितलियों को किताबों में मत रखा करो।
उनके संग-संग आसमां में उड़ा करो।
कभी-कभी अपने दिल की भी सुना करो।

No comments:

Post a Comment