Tuesday, November 15, 2011

"बचपन के दिन..."

बचपन के सुनहरे लम्हों को जी लो भरपूर,
बड़े होकर मासूम मुस्कराहटें हो जाती है बहुत दूर ।


काश कभी ऐसा हो जाये, सब कुछ देकर मुझे,
बचपन का एक दिन ही वापस मिल जाये ।

2 comments:

  1. भावों से नाजुक शब्‍द....

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  2. bachpan jaisi masumiya kahan milti hai....bas yaadein hi reh jati hain

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