Tuesday, March 6, 2012

"चाहे, हौले-हौले चल ..."

अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
उबड़-खाबड़ देख कर,
रास्ता ना बदल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
गिरकर, संभलता चल ।
ठोकरों से सीखता चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।
रंग-बिरंगी कारें देख कर,
मन ना मचल ।
समय तेरा भी आयेगा ,
जरा सब्र तो कर ।
मिल ही जायेगी मंजिल,
आज , नहीं तो कल !
अपने क़दमों पर कर भरोसा ,
एक ही रास्ते पर चल ।
चाहे, हौले-हौले चल ।

1 comment:

  1. सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

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