बिजलियाँ तो अक्सर गिरा करती हैं मुझ पर,
और मेरा दामन भी जला देतीं हैं अक्सर,
गम नहीं मुझे इस बात का दोस्तों,
कि वो मेरा दामन जलाती हैं ।
इस बात का भी दुःख नहीं मुझको,
कि कुछ लोग उस वक्त
मेरे दामन को हवा देते हैं।
दुःख है तो "राज" को
सिर्फ़ इस बात का ,
इस कोशिश में वह लोग,
अपना हाथ जला बैठते हैं।
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