"एक जोड़ी पुराने जूते हैं पास मेरे,
और एक नये सफ़र की तैयारी है।
मेरे जाने का जबसे पता चला है ,
घर में सबकी आखें भारी हैं ।
सबसे बड़ा बेटा हूँ घर का ,
अभी काम बहुत करने हैं ।
जीवन रुपी समुन्द्र में ,
सघन मंथन के बाद ही ,
तो अमृत कलश निकलने हैं । "
(Shalabh Gupta "Raj")
और एक नये सफ़र की तैयारी है।
मेरे जाने का जबसे पता चला है ,
घर में सबकी आखें भारी हैं ।
सबसे बड़ा बेटा हूँ घर का ,
अभी काम बहुत करने हैं ।
जीवन रुपी समुन्द्र में ,
सघन मंथन के बाद ही ,
तो अमृत कलश निकलने हैं । "
(Shalabh Gupta "Raj")
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