कई वर्षों से चल रहा निरन्तर,
"पृथा थिएटर" का ये अद्धभुत सफर।
"पटकथा" की यादें हैं धरोहर,
अनुभव के नए रंग मिले,
राजा रवि वर्मा - "चित्रकार" बनकर।
बहुत डराती थी "32/13" की रातें ,
दिल को सुकून देती हैं "मरहम" की बातें।
रेनकोट और छाता छोड़ आना घर पर,
आप सबको भिगोने आये हैं,
अब हम "सावन" बन कर।
(शलभ गुप्ता "राज")
प्रोडक्शन मैनेजर
पृथा थिएटर ग्रुप- मुंबई.
"पृथा थिएटर" का ये अद्धभुत सफर।
"पटकथा" की यादें हैं धरोहर,
अनुभव के नए रंग मिले,
राजा रवि वर्मा - "चित्रकार" बनकर।
बहुत डराती थी "32/13" की रातें ,
दिल को सुकून देती हैं "मरहम" की बातें।
रेनकोट और छाता छोड़ आना घर पर,
आप सबको भिगोने आये हैं,
अब हम "सावन" बन कर।
(शलभ गुप्ता "राज")
प्रोडक्शन मैनेजर
पृथा थिएटर ग्रुप- मुंबई.
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