[१]
मेरे हाथों में नहीं हैं तुम्हारे नाम की लकीरें।
अब बिछुड़ जाओ तुम, जुड़ा है हमारी तकदीरें।
[२]
"अपने" ही रूठते हैं, ऐसा कुछ सुना है मैंने।
कौन रूठेगा मुझसे, जब अपना है ही नहीं कोई।
मेरे हाथों में नहीं हैं तुम्हारे नाम की लकीरें।
अब बिछुड़ जाओ तुम, जुड़ा है हमारी तकदीरें।
[२]
"अपने" ही रूठते हैं, ऐसा कुछ सुना है मैंने।
कौन रूठेगा मुझसे, जब अपना है ही नहीं कोई।
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