Wednesday, June 8, 2022

"अपनों के गांव में.."

भवाली, भीमताल यात्रा की बातें और यादें 
इन पंक्तियों में : (5 जून 2022)
[१] 
इन पहाड़ों से रिश्ते मेरे बड़े पुराने हैं। 
सफर के रास्ते सारे जाने पहचाने हैं। 
[२]
ज़िन्दगी के सारे गुलाब देकर उसे,
कैक्टस सारे अपने नाम कर लिए। 
[३]
शहर के कोलाहल से दूर, पेड़ों की ठंडी छाँव में। 
चलते चलते आ ही गए हम, अपनों के गांव में।  

1 comment: