Thursday, June 23, 2022

"अपना कुछ भी नहीं.."

"शरीर" माता पिता का,
"आत्मा" परमात्मा की। 
उपहार में मिले,
पैंट  - शर्ट के,
कपड़े सिलवाकर,
बड़े बेटे द्वारा, 
मेरे लिए,
ऑनलाइन मंगवाए,
नए एक जोड़ी,
जूतों को पहनकर,
बन गए हम बाबू जी। 
अपना कुछ भी नहीं।   

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