Friday, October 30, 2009

"अगर, आज तुम ना आए तो....."



अगर, आज तुम ना आए तो.....
मेरी प्रतीक्षा के क्षण,
कण -कण करके टूट कर बिखर जायेंगे ।
शायद , फिर कभी समेट नहीं पाऊंगा
आंखों से बहते हुए ज़ज्बातों को ...
गुजरते हुए इंतज़ार के लम्हों को
अगर, आज तुम ना आए तो.....
ज़िन्दगी की बेरंग तस्वीर में ,
कोई रंग नहीं भर पाऊंगा ,
अगर, आज तुम ना आए तो.....
पहले भी जिया है ,
हर लम्हा , कई बार मर-मर के ......
इस तरह अब और ,
मै जी नहीं पाऊंगा ।
अगर, आज तुम ना आए तो.....

No comments:

Post a Comment