Saturday, January 9, 2010

"मिट्टी के खिलोने......"

"छुपा कर रखी थी बातें सारी।
खिलोने ने कह दी कहानी सारी"
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"मेरी ज़िन्दगी के रंग,
इन्द्रधनुषी नहीं तो क्या,
मटमैले तो हैं ।
पापा के साथ मेले जा रहे बच्चे ,
खुश होते तो हैं।
"बैटरी वाली कार अच्छी नहीं",
मेरे कहने का मतलब,
बच्चे समझते तो हैं।
कार को देखकर मचलने पर,
बड़े ने छोटे को समझाया,
भैया , आगे दुकानें और भी तो हैं।
मेले से खुश होकर लौट रहे ,
मेरे बच्चों के हाथों में ,
बैटरी वाली कार नहीं तो क्या,
मिट्टी के कुछ खिलोने तो हैं।
मेरी ज़िन्दगी के रंग,
इन्द्रधनुषी नहीं तो क्या,
मटमैले तो हैं । "

2 comments:

  1. aapka hraday se aabhar ! jo main mehsoos karta hun vahi likhta chala jaata hun....

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