Monday, January 18, 2010

"मुझे बस एक बूँद "ओंस" की बनना है ...."



ना सरोवर, ना नदिया, ना सागर बनना है।
मुझे बस एक बूँद "ओंस" की बनना है ।
मोती बनकर कुछ देर चमकना है।
कुछ पलों में जीवन सारा जीना है।
मुझे बस एक बूँद "ओंस" की बनना है ।
फूलों की पंखुडियां बने या काटें बने बिछोना मेरा ...
जन्म हुआ जहाँ, साँस अंतिम वहीँ लेना है।
परिस्थिति कैसी भी रहे साथ मेरे,
हर स्थिति में, मुझे मुस्कराते हुए जीना है।
मुझे बस एक बूँद "ओंस" की बनना है ।
जिन्होनें रखा मुझे रात भर संभाल कर,
उन सभी के प्रति मुझे आभार व्यक्त करना है।
प्रसन्नचित ह्रदय से स्वागत सूर्य का करना है।
हँसते हुए इस संसार से प्रस्थान करना है।
मुझे बस एक बूँद "ओंस" की बनना है ।

3 comments:

  1. ati sunder lagav v samarpan ke bhav kee rachana bahut pasand aaee.

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  2. aapka bhaut-bhaut aabhar! bas man ne jo socha vahi lihh saka..... aake shabd mera hausla bada jaate hain.....

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  3. बहुत खूब, बहुत कम शब्दों में पूरे जीवन की चाहतों को समेटकर अतिसुन्दर अभिव्यक्ति दी है, आपने........

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