पुराने दोस्त याद आते बहुत है ,
तनहाइयों में रुलाते बहुत है .
“राज" की जिंदगी की राहों में ,
मोड़ आते बहुत है .
किताब में रखे गुलाब के फूल
और तितलियाँ याद आते बहुत है ।
मै यहाँ ठीक हूँ , यह उनको है ख़बर ,
घर से दूर रहने पर मगर ,
हिचकियाँ आती बहुत है .
तनहाइयों में रुलाती बहुत है .
आंसुओं के समंदर में है , “राज” की जिंदगी
और लोग समझते है , हम मुस्कराते बहुत है . "
तनहाइयों में रुलाते बहुत है .
“राज" की जिंदगी की राहों में ,
मोड़ आते बहुत है .
किताब में रखे गुलाब के फूल
और तितलियाँ याद आते बहुत है ।
मै यहाँ ठीक हूँ , यह उनको है ख़बर ,
घर से दूर रहने पर मगर ,
हिचकियाँ आती बहुत है .
तनहाइयों में रुलाती बहुत है .
आंसुओं के समंदर में है , “राज” की जिंदगी
और लोग समझते है , हम मुस्कराते बहुत है . "
आपकी ये रचना पढ़ कर एक गीत की पंक्तियाँ याद आ गयीं...
ReplyDeleteजो तुम इतना मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जो हमसे छिपा रहे हो...
बढ़िया रचना...
सच है पुरानी सब बातें बहुत याद आती हैं ... फिर दोस्तों की तो बात ही क्या ...
ReplyDeleteआप सभी का ह्रदय से आभार !
ReplyDeleteमैं तो बस यूँ ही लिखता रहता हूँ.....
अपने मन को हल्का करता रहता हूँ......
bahut sunder abhivykti apane bhavo kee........
ReplyDeletepichalee yade sahara hotee hai jeevan ka.........
सच कहा आपने.... यादें सहारा होतीं हैं जीवन का.....
ReplyDeleteऔर ज़िन्दगी इन्ही यादों के सहारे गुज़र जाती है....