जब भी कभी तन्हा , महसूस करता हूँ मैं .......
अपनी कविताओं से , बाँतें करता हूँ मैं
बाँतो में, फिर तेरा ज़िक्र करता हूँ मैं .
ज़िक्र तेरा आते ही , मेरी कविताओ के
खामोश शब्द बोलने लगते हैं ,
फिर घंटों मुझसे , तेरी बाँतें करते हैं
मेरी कविताओं के शब्द तुमने ही तो रचे है
तुम्हारी ही तरह “शब्द” भावुक है
बाँतें मुझसे करते है , और नैनों से बरसते रहते है
जब भी कभी तन्हा , महसूस करता हूँ मैं
अपनी कविताओं से , बाँतें करता हूँ मैं
बाँतो में, फिर तेरा ज़िक्र करता हूँ मैं .
ज़िक्र तेरा आते ही , मेरी कविताओ के
खामोश शब्द बोलने लगते हैं ,
फिर घंटों मुझसे , तेरी बाँतें करते हैं
मेरी कविताओं के शब्द तुमने ही तो रचे है
तुम्हारी ही तरह “शब्द” भावुक है
बाँतें मुझसे करते है , और नैनों से बरसते रहते है
जब भी कभी तन्हा , महसूस करता हूँ मैं
अपनी कविताओं से बांते करता हूँ मैं
अर्ध -विराम सहारा देतें है शब्दों को ,
मात्राएँ , शब्दों के सर पर हाथ रखती हैं
हिचकियाँ लेते शब्दों को पंक्तियाँ दिलासा देतीं है
फिर सिसकियाँ लेते हुए शब्दों को ,
मै सीने से लगाकर , बाहों में भर लेता हूँ,
शब्द मुझमे समां जाते है , मुझको रुला जाते है ।
अर्ध -विराम सहारा देतें है शब्दों को ,
मात्राएँ , शब्दों के सर पर हाथ रखती हैं
हिचकियाँ लेते शब्दों को पंक्तियाँ दिलासा देतीं है
फिर सिसकियाँ लेते हुए शब्दों को ,
मै सीने से लगाकर , बाहों में भर लेता हूँ,
शब्द मुझमे समां जाते है , मुझको रुला जाते है ।
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
ReplyDeleteबहुत भावुक रचना...शब्दों से बात करना...कहीं ना कहीं मन को शांत करता है...बहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeletebahut bhavuk rachana.............bhav vibhor kar gayee......
ReplyDeleteमैं नहीं लिखता...."उनका" अहसास लिखता है....
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत आभार प्रिय संजय भास्कर जी....
Respected Sangeeta ji,
ReplyDeleteThanks for your kind words....You know.... My poems are my best friend....
श्रद्धेया ,
ReplyDeleteआपके प्रेरणादायी शब्द मुझे वास्तव में "अपनत्व" की सुखद अनुभूति प्रदान करते हैं.....
सादर व साभार!