Sunday, June 6, 2010

"मुझे मालूम है, हम बिछुड़ जायेंगें एक दिन ..."



मुझे मालूम है,
हम बिछुड़ जायेंगें एक दिन ...
इसीलिए छुपा कर रखे हैं
अपनी आखों में ,
उस दिन के लिए सारे आंसू मैंने...
तुमको भी उस दिन ,
बहुत याद आऊँगा मैं
अपने संग-संग तुमको भी,
बहुत रुलाऊंगा मैं ।
जिस कहानी का कोई अंत नहीं,
वो कहानी तुमको सुनाऊंगा मैं।
फिर ना कभी आयेंगी बहारें,
ऐसे मौसम छोड़ जाऊँगा मैं।
अपने संग-संग ,
तुमको भी बहुत रुलाऊंगा मैं ।
शिकवा नहीं तुमसे से ना शिकायत है कोई,
मेरे जाने से तुमको कोई दुःख ना पहुंचे
इसीलिए , उस दिन खुद ही तुमसे ...
नाराज़ हो जाऊँगा मैं।

4 comments:

  1. भावनाओं को बहुत खूबसूरती से लिखा है...

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  2. मुझे मालूम है,
    हम बिछुड़ जायेंगें एक दिन ...
    इसीलिए छुपा कर रखे हैं
    अपनी आखों में ,
    उस दिन के लिए सारे आंसू मैंने...

    बहुत भावनात्मक लिखा है ... दिल से लिखा है ..

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  3. MUJHE MAALOOM HAI EK DIN BICHHUD JAAYENGE HAM BAHUT HI ACHCHHAA LIKHAA HAI AISE HI LIKHTE RAHO

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  4. आप सब के प्रेरणा दायीशब्दों ने मेरी कलम को एक नई संजीवनी प्रदान की है....

    आप सबका ह्रदय से आभार ...

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