Tuesday, September 13, 2011

"खामोशियाँ बोलने लगी हैं..."

खामोशियाँ बोलने लगी हैं।
"राज" सारे खोलने लगी हैं।
कान्हा के होठों का,
बांसुरी को सहारा क्या मिला,
गोपियाँ प्रेम-गीत गाने लगी हैं।

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