"खामोशियाँ बोलने लगीं हैं,
"राज" सारे खोलने लगी हैं ,
कान्हा के होंठों का,
बांसुरी को सहारा जो मिला,
गोपियाँ प्रेम-गीत गाने लगी हैं . "
"राज" सारे खोलने लगी हैं ,
कान्हा के होंठों का,
बांसुरी को सहारा जो मिला,
गोपियाँ प्रेम-गीत गाने लगी हैं . "
No comments:
Post a Comment