ना गुब्बारे, खिलोने, ना उसे मिठाई चाहिये।
हमसे ना उसको कोई तोहफा चाहिये ।
खुशियों का बस उसे साथ चाहिये ।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
खूब भीगता है वह बारिशों के मौसम में ;
इन्द्रधनुष के रंगों को देखने के लिए मगर,
आखों में "उसे" रौशनी चाहिये।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
लिखे हुए से ज़्यादा कोई जी सकता नहीं,
अपनी ज़िन्दगी के सारे लम्हें ,
चाहकर भी मैं उसे दे सकता नहीं...
बस में होता हमारे अगर,
फिर कोई कभी मरता नहीं,
कुदरत का कोई करिश्मा चाहिये।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
हारना उसने ना सीखा है कभी,
मुस्कारते हुए जीता है वह हर लम्हें सभी,
ज़िन्दगी जीने की उस जैसी ,बस ललक चाहिये।
आप सबकी दुआओं में असर चाहिये ।
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