Tuesday, November 8, 2016

"दीप..."



बनावटी रोशनियों की चकाचोंध में, 
कुछ भी दिखाई नहीं देता,
प्रेम का एक ही दीप काफी है, 
उम्र भर रौशनी देने के लिये।  
(शलभ गुप्ता "राज") 

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