Friday, December 2, 2016

"सफ़र..."

"एक जोड़ी पुराने जूते हैं पास मेरे,
और एक नये सफ़र की तैयारी है।
मेरे जाने का जबसे पता चला है ,
घर में सबकी आखें भारी हैं 
सबसे बड़ा बेटा हूँ घर का ,
अभी काम बहुत करने हैं 
जीवन रुपी समुन्द्र में , 
सघन मंथन
 के बाद ही ,
तो
 अमृत कलश निकलने हैं  "
(Shalabh Gupta)

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