कल शाम समुन्दर से मुलाकात हो गयी,
कुछ देर में जान पहचान हो गयी,एक समुन्दर था मेरी नजरों के सामने,
एक समुन्दर मेरी आखों में था ।
वो भी छलक जाता था लहर बन के ,
आखें भी छलक जाती थी याद बन के ।
शांत था बहुत समुन्दर, बस शोर हवाओं का था ।
मेरे लौटने का इन्तजार , किसी को आज भी था ।
Photo- Mahabalipuram, Chennai
@ Shalabh Gupta
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