Sunday, December 11, 2016

"समुन्दर..."
















कल शाम समुन्दर से मुलाकात हो गयी,
कुछ देर में जान पहचान हो गयी,
एक समुन्दर था मेरी नजरों के सामने,
एक समुन्दर मेरी आखों में था ।
वो भी छलक जाता था लहर बन के ,
आखें भी छलक जाती थी याद बन के ।
शांत था बहुत समुन्दर, बस शोर हवाओं का था ।
मेरे लौटने का इन्तजार , किसी को आज भी था ।
Photo- Mahabalipuram, Chennai
@ Shalabh Gupta

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