ज़िन्दगी की तेज़ तपन में,
अपनेपन की छाँव मिले।
उम्र के हर मोड़ पर,
ख़ुशियाँ बेमिसाल मिलें।
तितलियों को उड़ने के लिये,
नये- नये आसमान मिलें।
सुख और समृद्धि हमेशा,
आपके घर-आँगन में मिले।
मिलेंगे शायद, फिर किसी दिन;
संग-संग हैं यादों के काफिले।
गीत - कविता लिखते रहें हम,
महकते रहें बातों के सिलसिले।
(शलभ गुप्ता "राज")
अपनेपन की छाँव मिले।
उम्र के हर मोड़ पर,
ख़ुशियाँ बेमिसाल मिलें।
तितलियों को उड़ने के लिये,
नये- नये आसमान मिलें।
सुख और समृद्धि हमेशा,
आपके घर-आँगन में मिले।
मिलेंगे शायद, फिर किसी दिन;
संग-संग हैं यादों के काफिले।
गीत - कविता लिखते रहें हम,
महकते रहें बातों के सिलसिले।
(शलभ गुप्ता "राज")
No comments:
Post a Comment