Tuesday, June 20, 2017

"लिखना है कुछ ख़ास सा..."

डायरी के कुछ पन्ने भरे हैं।
कुछ पन्नों के कोने मुड़े हैं,
और बहुत से अभी कोरे हैं।
लिखना है  कुछ ख़ास सा।
पहले प्यार के एहसास सा।
अमलतास के फूल ;
मुंबई की बारिशें,
घर लौटते पंछी ,
और ईद के चाँद सा।
लिखना है कुछ ख़ास सा।
@ शलभ गुप्ता 

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