Wednesday, May 16, 2018

"इन बारिशों के मौसम में..."

तुम भीगना इस बार बारिशों में,
मुझे नहीं भीगना है। 
मुझे तो ढेर सारे पौधे लगाने हैं ,
इन बारिशों के मौसम में। 
रंग-बिरंगे गमलों में ,
सफ़ेद फूलों के पौधे। 
जो तुम्हे बहुत पसंद थे। 
यूँ तो कोई खुशबू नहीं थी उनमें,
मगर तुम्हारे छूने से महक जाते थे।
आ जाना फिर एक बार,
फूलों को छूने के लिए ,
आँगन को महकाने के लिए। 

@ शलभ गुप्ता

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