Friday, February 25, 2022

"जब से आये हो तुम जीवन में.."

 जीवन की परीक्षा के प्रश्न सारे,
"आउट ऑफ सिलेबस" आते हैं।
जब से आये हो तुम जीवन में,
मुझको सारे उत्तर मिल जाते हैं।
यूं तो कविता तुम लिखती नहीं,
फिर भी घर के कामकाज से,
समय निकालकर पढ़ लेती हो, 
फेसबुक पर मेरी रचनाएं अक्सर।
"वेरी नाइस" के कॉमेंट्स तुम्हारे,
मेरे शब्दों को नए अर्थ दे जाते हैं।
घर की जिम्मेदारियों के चलते,
पर्स मेरा खाली हो जाता है अक्सर।
ना जाने पैसे कहां से आ जाते हैं,
तुम्हारे हाथ धन कुबेर बन जाते हैं।
घर आए हुए रिश्तेदारों का ध्यान,
व्रत, त्योहार, जन्मदिन हो या फिर,
स्कूल से मिला बच्चों का होमवर्क,
घर को संवारने का "मैनेजमेंट",
तुमने मुझ से बेहतर निभाया है।
कभी देर से घर आया तो भी,
खाना तुमने गर्म ही खिलाया है।
प्रभु से है बस यही कामना मेरी,
हमेशा यूं ही साथ चलते रहो मेरे।
परेशानियों के लम्हें तुम्हारी वजह से,
बहुत दूर से होकर गुजर जाते हैं।
यूँ तो बहुत कविताएं लिखता हूँ,
तुम पर कुछ लिखना चाहूँ तो,
मेरे पास शब्द कम पढ़ जाते हैं। 
जब से आये हो तुम जीवन में,
मुझको सारे उत्तर मिल जाते हैं।

(आज हमारी विवाह की वर्षगाँठ हैं, अपनी धर्मपत्नी को समर्पित यह मेरी कविता)


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