Saturday, January 23, 2010

"हाथों में बांसुरी नहीं, अब सुदर्शन चक्र धरना है ..."



नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के जन्म दिवस पर उनकी जीवन गाथा को स्मरण करते हुए उन्हें शत: शत: नमन करता हूँ। जिस आज़ादी के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी उस आज़ादी की हवा में आज आतंकवाद के काले बादल मंडरा रहें हैं... आम जनता और समाज में दहशत का वातावरण बनता जा रहा है।
अपने ही देश में सभी त्योंहारों और राष्ट्रीय पर्वों को मनाने के लिए भी आम जनता खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है। समाज में परिवर्तन तो सब चाहते हैं लेकिन करे कौन ? सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह तो हों लेकिन मेरे घर में ना हों ! कौन आगे आये .... इसी सोच को अब हमें बदलना है। किसी को तो आगे आना ही होगा, सबको एक साथ आगे बढ़ना है।
कुछ शब्दों के माध्यम से आज अपनी बात कहने का प्रयास कर रहा हूँ .......
"मौत के डर से सहम गये लोग,
अपने ही घर में ठहर गये लोग।
यह तो धरती है "सुभाष" और "आज़ाद" की,
चंद बम-विस्फोटों से फिर क्यों डर गये लोग ।
क्या घर में रहकर बच गये लोग ?
समय से पहले मर गये लोग ।
घर पर नहीं अब ठहरना है।
नाकाम हुये सब "खादी" और "खाकी",
आतंकवाद से अब जनता को ही लड़ना है।
कुछ कर गुजरने का हौसला मन में रखना है।
फूलों की घाटी में कांटें बो गये लोग,
वक्त ऐसा आया , अपने ही साये से डर गये लोग।
बहादुरी का नया अफसाना लिखना है।
हर युवा को बस "रुखसाना कौसर" बनना है।
जागो और युवाओं आगे बढ़ो ,
कल का भारत तुम्हें बनाना है।
अब इस देश को आतंकवाद से मुक्त कराना है।
अगर "भगत सिंह" और "बिस्मिल" ,
अपने घरों में छुप गये होते ।
हम आज भी गुलामी की जंजीरों में बंधे होते।
घर से अब हमें निकलना है।
देश के दुश्मनों के घर पर अब तिरंगा लहराना है।
हाथों में बांसुरी नहीं, अब सुदर्शन चक्र धरना है।
घर से अब हमें निकलना है... ।

4 comments:

  1. prerana detee acchee rachana.....

    फूलों की घाटी में कांटें बो गये लोग,....ye pankti bahut asar chod gaee .

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  2. aapke shabd mera hausla bada jaate hain....aapka hraday se aabhaar....

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  3. गणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएं

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  4. "गण हो आगे , पीछे तंत्र !

    तभी सफल होगा गणतंत्र !"

    आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ......
    सादर व साभार!

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