Saturday, July 3, 2010

"अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......"



अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......
तन तो भीगा खूब मगर, मन रहा प्यासा मेरा पहले की तरह।
पेड़ों पर लगे सावन के झूलों को खाली ही झुलाते रहे,
उन बारिशों से इन बारिशों तक इंतज़ार हम करते रहे।
वो ना आए इस बार भी मगर पहले की तरह
अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......
वो साथ नहीं हैं यूँ तो , कोई गम नहीं है मुझको
मुस्कराहटें "राज" की नहीं हैं अब मगर पहले की तरह।
यूँ तो कई फूल चमन में, खिल रहे हैं आज भी मगर
खुशबू किसी में नहीं है, जो दिल में बस जाए पहले की तरह।
अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......

7 comments:

  1. "बढ़िया....यूँ तो बारिश अच्छी होती है और हर साल आ के गुज़र जाती है मगर किसी एक पल में कुछ यादें , कुछ ख्वाहिश होती हैं जो कि कसक बन के रह जाती हैं............"

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  3. यह बारिशें मेरे जीने का सबब है….यूँ तो बारिश मन को बहुत लुभाती हैं …
    हर साल बारिशें आती हैं… और बरस कर चली जातीं हैं…
    मगर गुज़रे हुए लम्हों की कुछ यादें , कुछ बातें ऐसी होती हैं
    जो कि उम्र भर के लिए , धरोहर बन जाती हैं।

    ReplyDelete
  4. अब के भी बरसीं हैं बारिशें फिर पहले की तरह ......
    तन तो भीगा खूब मगर, मन रहा प्यासा मेरा पहले की तरह।

    बूँदें बारिश की ... मन तो उनके आने से भरता है ...

    ReplyDelete
  5. @ दिगम्बर नासवा ji ... dil ki baat kah di aapne....

    ReplyDelete
  6. @ संगीता स्वरुप ji : aapke prernadayi shabdon se bal milta hai...

    ReplyDelete
  7. @ Amitraghat ji : purani yaaden sahara hoti hai jeevan ka... yaaden sirf yaaden hoti hain...

    ReplyDelete