Friday, January 21, 2011

"कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ..."



कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ।
इस बात का "चाँद" को अहसास है ।
गुज़रती है रात करवट बदल-बदल कर,
बिना कुछ कहे, सब कुछ समझने का अहसास है ।
गुमसुम सी रात है , ना जाने क्या बात है ।
रजनीगंधा सी महकती हुई किसी की याद है ।
कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ।
इस बात का "चाँद" को अहसास है ।
सारे तारे कुछ बोल रहे हैं ।
दिल का हाल पूछ रहे हैं ।
"चांदनी" मगर खामोश है ।
"चाँद" को पता है किस्सा सारा ,
भीगी पलकों ने कह दिया हाल सारा,
समुन्दर के शहर में, समुन्दरों सी प्यास है ।
कभी लगता है बहुत दूर है वह,
और कभी लगता है वो बहुत पास है ।
कुछ दिनों से "चांदनी" बहुत उदास है ।
इस बात का "चाँद" को अहसास है ।

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