Monday, February 7, 2011

"मुझ से बातें किया करो...."




हज़ार गम हैं ज़िन्दगी में,
किसी से शिकवे-शिकायत क्या करो ?
दुनिया लगे जब अजनबी सी,
मुझ से बातें किया करो ।
शायद, कुछ कह रहीं हैं धड़कने ;
कभी अपने दिल की कहानी सुना करो ।
जब नींद न आये रातों में ,
मेरी यादों को अपने सिरहाने रखा करो ।
हर रोज ख्वाबों में हम आयेगें ,
थोड़ी जगह छोड़ कर सोया करो ।
जो कुछ कहना है मुझसे,
सारी बातें कह दिया करो ।
अकेले होकर भी , अकेले नहीं हो तुम
अपने आसपास , मुझे महसूस किया करो ।
मैंने वही किया जो था मेरे लिए ज़रूरी ,
वक्त की थोड़ी मजबूरियां समझा करो ।

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