Friday, February 18, 2011

"मेरी आखों में आंसू भर आये ..."



कुछ दिनों के लिये मुंबई शहर क्या छोड़ आये ।
लहरें और समुन्दर के किनारे बहुत याद आये ।
अपनी भी ज़िन्दगी बड़ी अजीब है दोस्तों ,
राह में हर दिन एक नया मोड़ आये ।
न जाने कैसा चमन है यह फूलों का ,
छुआ जब, तो अहसास चुभन का आये ।
जब भी कोशिश की मैंने मुस्कराने की ,
मेरी आखों में आंसू भर आये ।
अपनी कहानी उन्हें सुनाते भी तो किस तरह ,
वह भी अपने काम में बहुत व्यस्त नज़र आये ।
अपनी भी ज़िन्दगी बड़ी अजीब है दोस्तों ,
राह में हर दिन एक नया मोड़ आये

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