Saturday, March 12, 2011

बस "अपने" नहीं हैं.....

सब कुछ है परदेस में,
बस "अपने" नहीं हैं ।
कुछ दिनों से ना जाने,
क्या हुआ है मुझे ;
आखों में आंसू ,
अब रुकते नहीं हैं।
शायद, कोई नाराज़ है मुझसे;
इतने बुरे तो हम नहीं हैं ।
सब कुछ है परदेस में,
बस "अपने" नहीं हैं

1 comment:

  1. Bahut sundar वेसे भी इस शहर में कोन 'अपना' है--सब पराए है --मुझे तो आज तक कोई नही मिला ---?

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