
जिस समुन्दर को रोज देखा करते थे हम ।
लहरों से खूब बातें किया करते थे हम ।
अब उन किनारों को दूर छोड़ आये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
मगर इन "यादों" को कहाँ ले जाएँ हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
"यादें" सहारा होती है जीवन का ,
मेरे साथ रहती हैं हमेशा "यादें" और "हम" ।
पहले भी तन्हा थे और आज भी तन्हा हैं हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
शिकवा नहीं किसी से ना शिकायत है कोई,
चलो, कुछ लम्हों के लिए तो मुस्करा लिये हम ।
उनकी "ख़ामोशी" , सब कुछ समझ गये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
जिस समुन्दर को रोज देखा करते थे हम ।
ReplyDeleteलहरों से खूब बातें किया करते थे हम ।
अब उन किनारों को दूर छोड़ आये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
मगर इन "यादों" को कहाँ ले जाएँ हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
एक -एक शब्द जेसे दिल के हालत बया कर रहा है --बहुत सुन्दर .
@ Darshan Kaur Ji :
ReplyDeleteज़िन्दगी का इम्तिहान हमने कुछ दिया इस तरह ,
वह हर रोज हमें एक नया सवाल देती रही ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।very nice poem hai...bhut nayab panktiya hai...
ReplyDelete@ Sushma Ji :
ReplyDeleteएक दिन ज़िन्दगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जायेगी , दोस्ती तो सिर्फ यादों में ही रह जायेगी ।
हर एक कप कॉफी , याद दोस्तों की दिलायेगी। और हँसते- हँसते फिर आखें नम हो जायेगीं ।
ऑफिस के चैम्बर में classroom नज़र आयेगी , पर चाहने पर भी proxy नहीं लग पायेगी ।
पैसा तो बहुत होगा, मगर उन्हें लूटाने की वजह ही खो जायेगी ।
जीलो खुल कर इस पल को मेरे दोस्तों , ज़िन्दगी इन पलों को फिर से नहीं दोहरायेगी ।
क्यों ऐसा ही होगा ना ...?
acchee lagee aapkee ye rachana.....
ReplyDeleteदिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
kash ye itna aasan hota.......
@ Apanatva Ji :
ReplyDelete"हर सूरज सूली चढ़ता है रोज किसी अंधियारी में ,
पता नहीं हम कितना रोये , हंसने की तैयारी में । "
सच कहा आपने, काश किसी को भूलना इतना आसान होता ।
मेरे मानना है , किसी को भूलने का मतलब ज़िन्दगी को खत्म करना है... जब तक यह ज़िन्दगी है.... राहे सफ़र में यादों के साये संग-संग चलते रहते हैं...
आपको मेरी यह कविता पसंद आई , आपका दिल से आभार....
शिकवा नहीं किसी से ना शिकायत है कोई,
ReplyDeleteचलो, कुछ लम्हों के लिए तो मुस्करा लिये हम ।
उनकी "ख़ामोशी" , सब कुछ समझ गये हम ।
BAHUT HI MANORAM KAVITA HAI SIR JI...
www.akashsingh307.blogspot.com
@ Akash Singh Ji : Aapko Mere Kavita Pasand Aayi, Aapka Dil Se Shukriya .....
ReplyDeletedear shalabh..nice thoughts..
ReplyDeletebeautiful words...
regards ..
from vishal kasera
Vishal Ji : Thanks a lot for your kind words..
ReplyDeleteLove & Peace..
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDelete@ Sara Sach : Thanks for your words..
ReplyDeleteSure, I will visit your blog...
Regards..
adhbhut
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