
कोई किसी को याद नहीं करेगा ,
यह ग़लत कहते है लोग।
ज़िन्दगी भर याद आयेगें ,
मुझे आप सब लोग।
शायद मुझे भी याद करेंगे ,
मेरे जाने के बाद "कुछ" लोग।
जब खामोश हो जाऊंगा मै ,
तब गीत मेरे गुनगुनायेंगे लोग।
चला जाऊंगा इस शहर से जब मै,
मेरे कदमों के निशान ढूढेंगे लोग।
मैं हूँ एक पेड़ चंदन का,
इसलिए मेरे करीब नहीं आते है लोग।
पत्थर पर घिस कर, जब मिट जाऊंगा मै,
तब मुझे माथे पर लगायेंगे लोग।
आसमान से टूटता हुआ तारा हूँ,
एक दिन टूट जाऊंगा मै ।
खुशी बहुत है , इस बात की "राज" को मगर
देखकर मुझे, अपनी मुरादें पूरी कर लेंगे लोग।
शायद मुझे भी याद करेंगे ,
ReplyDeleteमेरे जाने के बाद "कुछ" लोग। bhut hi acchi lines hai...
yaad aate hain pal guzar jane ke baad ....bahut hi achhi rachna
ReplyDeleteघर जाने के दिन जब करीब आने लगे..."ise vatvriksh ke liye bhejiye rasprabha@gmail.com per parichay tasweer blog link ke saath
@ सुषमा जी : "लेकिन, अब कोई किसी को याद नहीं करता ... feelings ख़त्म होती जा रहीं हैं... कैक्टस से अहसास हैं... आज इस material world में मुस्कराहटें भी "प्लास्टिक" जैसी बनावटी होती जा रही हैं... आपको मेरी यह पंक्तियाँ पसंद आयी ...आपका शुक्रिया....
ReplyDelete@ रश्मि जी : आपके द्वारा मेरे ब्लॉग को पढना , वास्तव में मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है.... आपके शब्दों से मुझे एक नयी ऊर्जा प्राप्त हुई है... आपका ह्र्दय से आभार...
ReplyDeleteमेरी 'यादे ' कविता भी कुछ इसी तरह से है --और मेरा उप नाम 'राज 'भी जो मेरे काल्पनिक प्रेमी का है ...
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