Friday, June 24, 2011

"नींव का पत्थर बनना है मुझे..."





गुम्बद में नहीं लगना है मुझे,
नींव का पत्थर बनना है मुझे।
सब अगर गुम्बद में ही लगेंगे,
नींव में फिर कौन से पत्थर लगेंगे ।
आसमान नही छूना है मुझे,
धरती में ही बस रहना है मुझे।
ख़ुद खामोश रहकर सबको
मुस्कराते हुए देखना है मुझे।
नींव का पत्थर बनना है मुझे।
देवता के चरणों में नही अर्पित होना है मुझे।
फूलों की माला नहीं बनानी है मुझे।
शूल बनकर फूलों की हिफाज़त करनी है मुझे।
नींव का पत्थर बनना है मुझे।
कहीं दूर नहीं जाना है मुझे,
कश्ती में ही रहना है मुझे।
मांझी बनकर , सबको पार ले जाना है मुझे।
नींव का पत्थर बनना है मुझे।

4 comments:

  1. bhut hi sunder shabdo se saji rachna...

    ReplyDelete
  2. @ Sushma Ji : Aapka Shukriya.. Bas Isi Tarah Jeena Hai Mujhe...

    ReplyDelete
  3. यही अभिलाषा होनी चाहिए...

    ReplyDelete
  4. @ Veena Ji : Aapka Aabhar... Yahi Chaha Hai Dil Ne...

    ReplyDelete