Wednesday, June 10, 2015

"यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें.."

इस भागती - दौड़ती ज़िन्दगी में , 
कुछ पल तो अपनों के लिये रखो दोस्तों,
अधूरेपन से ना व्यक्त करो,
अपनी भावनाओं को ,
वरना अपने भी पराये होते रहेगें, 
यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।
सूरज अपना चक्र कम कर दे अगर, 
यह दिन के उजाले भी जाते रहेगें।
चाँद जल्दी घर जाने लगे अगर, 
सपने अधूरे हमारी आखों में ही रहेगें।
खुल कर ना बरसें बादल अगर, 
धरा पर हम सब फिर प्यासे रहेगें।
अधूरेपन से ना व्यक्त करो,
अपनी भावनाओं को 
वरना अपने भी पराये होते रहेगें, 
यह रिश्ते हाथों से जाते रहेंगें।
- शलभ गुप्ता "राज"

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