"एक बार फिर से दीजिये, एक- दूसरे को बधाई।
खुशियों की सौगात लिये 6 जून की सुबह आई।
सूरज की किरणों ने, प्रेषित की पहली बधाई।
फिर चिड़ियाँ चहचहायी, "जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई"!
सागर की लहरों ने प्रेषित की दूसरी बधाई।
फिर हवा गुनगुनाई, "जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई"!
एक बार फिर से दीजिये, एक- दूसरे को बधाई।
खुशियों की सौगात लिये 6 जून की सुबह आई।
बधाईयों के सिलसिले यूँ ही अनवरत चलते रहें,
हम आपको और आप हमें यूँ ही याद करते रहें।
हज़ारों लोग मिले , मौज़ों की रवानी में ,
तुम ही बस याद रहे , ज़िन्दगी की कहानी में।
ज़िन्दगी से खुश होकर गले मिले , जाते हुये लम्हे।
आते हुये लम्हों ने कहा, "जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई"!
एक बार फिर से दीजिये, एक- दूसरे को बधाई।
खुशियों की सौगात लिये 6 जून की सुबह आई।"
- शलभ गुप्ता "राज"
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