कहां पहन पाता है आदमी।
बचपन में मां की पसंद के,,
कॉलेज टाइम में दोस्तों की,
शादी के बाद पत्नी की पसंद,
फिर बच्चों के पसंद की ड्रेस,
और उनकी पसंद के जूते भी,
पहनता है फिर आदमी।
सबकी खुशी में फिर,
खुश रहता है आदमी।
बस इसी तरह से जीवन,
बिताता है फिर आदमी।
खुश रहता है आदमी।
बस इसी तरह से जीवन,
बिताता है फिर आदमी।
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