रिश्ते और सामान जितने कम होंगें।
ज़िन्दगी के सफ़र उतने आसान होंगें।
देखो बदलने लगा है अब देश मेरा,
खिलाड़ी के नाम से अब अवार्ड होंगें।
जिनको पार्टी में पद मिला है छोटा सा,
उनके ही घर पर नेम प्लेट बड़े होंगें।
ए सी कमरे छोड़ कर धूप में निकल रहे,
शायद नेता जी के चुनाव करीब होंगें।
हिन्दू मुस्लिम के नाम पर बहुत शोर है मगर,
कचहरी में ज्यादा मुक़दमे भाई भाई के होंगें।
जुदा हुए थे जिस मोड़ पर कभी हम दोनों,
तुम देखना, हम आज भी वहीं ठहरे होंगें।
चाहकर जी भर कभी रो भी ना सके हम,
"शलभ" की आंखों पर कितने पहरे होंगें।
देखो बदलने लगा है अब देश मेरा,
जिनको पार्टी में पद मिला है छोटा सा,
ए सी कमरे छोड़ कर धूप में निकल रहे,
हिन्दू मुस्लिम के नाम पर बहुत शोर है मगर,
जुदा हुए थे जिस मोड़ पर कभी हम दोनों,
चाहकर जी भर कभी रो भी ना सके हम,
"शलभ" की आंखों पर कितने पहरे होंगें।
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