अब बरसों से नई तस्वीरें नहीं खिचवाते हम,
यूँ झूठ मूठ का हमसे मुस्कराया नहीं जाता।
ढूंढ ले ए दिल ज़िन्दगी में अब हमसफ़र कोई,
बारिश के मौसम में अकेले भीगा नहीं जाता।
वो मैडल जीत कर लाए हैं अपनी मेहनत से,
हर बात का श्रेय सरकार को दिया नहीं जाता।
खेलों के महाकुम्भ में तुमने लिख दी अमर गाथा,
नीरज के आगे अब किसी का भाला नहीं जाता।
मुफ्त राशन पाकर भी भूखा रह गया गरीब,
महंगा सिलेंडर उससे अब ख़रीदा नहीं जाता।
खामोशियाँ भी कह देती हैं बहुत कुछ बातें,
हर बात को नाराज़गी से बताया नहीं जाता।
कभी कभी मना करना भी ज़रूरी है "शलभ",
यूँ हर किसी की महफ़िल में जाया नहीं जाता।
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