Saturday, October 30, 2021

"कुछ पंक्तियाँ .."

[१]
ज़िंदा हूँ, इसीलिए लिखता हूँ। 
लिखता हूँ, तभी तो ज़िंदा हूँ। 
[२]
कुछ घाव ऐसे होते हैं,
जो दिखते भी नहीं हैं। 
जीवन भर कभी मगर,
फिर भरते भी नहीं हैं। 

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