Tuesday, November 16, 2021

कुछ पंक्तियाँ

[१]
बनावटी रोशनियों की चकाचोंध में,
कुछ भी दिखाई नहीं देता। 
प्रेम का एक ही दीप काफी है,
उम्र भर रौशनी देने के लिए। 
[२]
ज़रा सा वक्त ही तो माँगा था, 
तुमसे अपने लिए,
तुम मुझे कारोबार के, 
नफा नुक्सान बताने लगे। 
[३]
अब डिजिटल हो गईं,
सारी शुभकामनाएं। 
अपनों की आवाज़ सुने,
एक ज़माना हो गया। 

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