[१]
बनावटी रोशनियों की चकाचोंध में,
कुछ भी दिखाई नहीं देता।
प्रेम का एक ही दीप काफी है,
उम्र भर रौशनी देने के लिए।
कुछ भी दिखाई नहीं देता।
प्रेम का एक ही दीप काफी है,
उम्र भर रौशनी देने के लिए।
[२]
ज़रा सा वक्त ही तो माँगा था,
तुमसे अपने लिए,
तुम मुझे कारोबार के,
नफा नुक्सान बताने लगे।
[३]
अब डिजिटल हो गईं,
सारी शुभकामनाएं।
अपनों की आवाज़ सुने,
एक ज़माना हो गया।
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