Thursday, December 3, 2009

"आने वाले कल के लिए, नई इबारत लिख रहा .."

रात का आखरी प्रहर है,
तेज़ी से गुज़र रहा।
आने वाले कल के लिए,
नई इबारत लिख रहा।
इस भागती - दौड़ती दुनिया में ,
हर इंसान अपना मुकाम तलाश रहा ।
"राह" का पत्थर था जो अब तलक,
अब "मील" का पत्थर बन रहा ।

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