Wednesday, December 2, 2009

"ह्रदय में कुछ स्वप्न नये बुनता हूँ ...."

सर्वप्रथम , इस कविता के माध्यम से...
आपको सादर नमन करता हूँ।
आपकी "प्रतिक्रियाओं" के संग्रह के सन्दर्भ में ,
अपने मन के कुछ उदगार व्यक्त करता हूँ।
ह्रदय में कुछ स्वप्न नये बुनता हूँ।

एक-एक करके बड़ी लगन से ,
आपके विचारों की महकती बगिया से ,
गुलाब की पंखुड़ियों से अधिक नाजुक ,
मेरी भावनाओं से अधिक भावुक,
आपके प्रेरणादायी शब्दों के फूल चुनता हूँ।
उन महकते हुए फूलों से फिर मैं ,
अपनी कविताओं का श्रंगार करता हूँ।
ह्रदय में कुछ स्वप्न नये बुनता हूँ।
मेरे जीवन के लिए मार्गदर्शक बनीं,
आपके द्वारा व्यक्त की गयीं ,
"संजीवन अभिव्यक्तियों" के प्रति,
प्रत्येक पल मैं आपका,
कोटि-कोटि आभार व्यक्त करता हूँ।
ह्रदय में कुछ स्वप्न नये बुनता हूँ।

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