Tuesday, February 8, 2011

"शब्दों का अतुल भण्डार दो माँ ..."



शब्दों का अतुल भण्डार दो माँ,
लेखनी को नए विचार दो माँ।
इतना मुझ पर , उपकार करो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।
अनुभूतियों को सार्थक रूप दो माँ।
सृजन को व्यापक स्वरुप दो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।
बेरंग शब्दों में , रंग भर दो माँ।
शब्दों को नए अर्थ दो माँ।
"शलभ" को नए आयाम दो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।
शब्दों का मुझे उपहार दो माँ।
कुछ ऐसा लिखूं, सबको निहाल कर दूँ माँ।
इतना मुझपर उपकार करो माँ।
जीवन मेरा संवार दो माँ।

4 comments:

  1. Bahut Syundar Bhaai.. Maa ki kripaa hai aap par...

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  2. शब्दों का मुझे उपहार दो माँ।
    कुछ ऐसा लिखूं, सबको निहाल कर दूँ माँ।
    शलभजी,
    सुन्दर । अति सुन्दर भावना । ऐसा ही हो । काम मे निरन्तरता देते हुए लेखक यही कामना करें तो लिखाइ बेहतर हो ।

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  3. अरविन्द जी : माँ की कृपा बस यूँ ही बनी रहे ...आप सब का साथ नयी उर्जा प्रदान करता है...

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  4. Bhim Prasad Ghimire Ji : आपका दिल से आभार... बस यही शब्द हैं पास हमारे और कुछ नहीं हैं... फिर भी दिल में हमारे बहुत ख़ुशी है...

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