I am Shalabh Gupta from India. Poem writing is my passion. I think, these poems are few pages of my autobiography. My poems are my best friends.
Tuesday, March 29, 2011
"अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम .."
जिस समुन्दर को रोज देखा करते थे हम ।
लहरों से खूब बातें किया करते थे हम ।
अब उन किनारों को दूर छोड़ आये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
मगर इन "यादों" को कहाँ ले जाएँ हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
"यादें" सहारा होती है जीवन का ,
मेरे साथ रहती हैं हमेशा "यादें" और "हम" ।
पहले भी तन्हा थे और आज भी तन्हा हैं हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
शिकवा नहीं किसी से ना शिकायत है कोई,
चलो, कुछ लम्हों के लिए तो मुस्करा लिये हम ।
उनकी "ख़ामोशी" , सब कुछ समझ गये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
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जिस समुन्दर को रोज देखा करते थे हम ।
ReplyDeleteलहरों से खूब बातें किया करते थे हम ।
अब उन किनारों को दूर छोड़ आये हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
दिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
मगर इन "यादों" को कहाँ ले जाएँ हम ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।
एक -एक शब्द जेसे दिल के हालत बया कर रहा है --बहुत सुन्दर .
@ Darshan Kaur Ji :
ReplyDeleteज़िन्दगी का इम्तिहान हमने कुछ दिया इस तरह ,
वह हर रोज हमें एक नया सवाल देती रही ।
अपनी आखों में हजारों समुन्दर ले आये हम ।very nice poem hai...bhut nayab panktiya hai...
ReplyDelete@ Sushma Ji :
ReplyDeleteएक दिन ज़िन्दगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जायेगी , दोस्ती तो सिर्फ यादों में ही रह जायेगी ।
हर एक कप कॉफी , याद दोस्तों की दिलायेगी। और हँसते- हँसते फिर आखें नम हो जायेगीं ।
ऑफिस के चैम्बर में classroom नज़र आयेगी , पर चाहने पर भी proxy नहीं लग पायेगी ।
पैसा तो बहुत होगा, मगर उन्हें लूटाने की वजह ही खो जायेगी ।
जीलो खुल कर इस पल को मेरे दोस्तों , ज़िन्दगी इन पलों को फिर से नहीं दोहरायेगी ।
क्यों ऐसा ही होगा ना ...?
acchee lagee aapkee ye rachana.....
ReplyDeleteदिल में आता हैं , सब कुछ भूल जाएँ हम ।
ना किसी को याद करें, ना किसी को याद आयें हम ।
kash ye itna aasan hota.......
@ Apanatva Ji :
ReplyDelete"हर सूरज सूली चढ़ता है रोज किसी अंधियारी में ,
पता नहीं हम कितना रोये , हंसने की तैयारी में । "
सच कहा आपने, काश किसी को भूलना इतना आसान होता ।
मेरे मानना है , किसी को भूलने का मतलब ज़िन्दगी को खत्म करना है... जब तक यह ज़िन्दगी है.... राहे सफ़र में यादों के साये संग-संग चलते रहते हैं...
आपको मेरी यह कविता पसंद आई , आपका दिल से आभार....
शिकवा नहीं किसी से ना शिकायत है कोई,
ReplyDeleteचलो, कुछ लम्हों के लिए तो मुस्करा लिये हम ।
उनकी "ख़ामोशी" , सब कुछ समझ गये हम ।
BAHUT HI MANORAM KAVITA HAI SIR JI...
www.akashsingh307.blogspot.com
@ Akash Singh Ji : Aapko Mere Kavita Pasand Aayi, Aapka Dil Se Shukriya .....
ReplyDeletedear shalabh..nice thoughts..
ReplyDeletebeautiful words...
regards ..
from vishal kasera
Vishal Ji : Thanks a lot for your kind words..
ReplyDeleteLove & Peace..
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDelete@ Sara Sach : Thanks for your words..
ReplyDeleteSure, I will visit your blog...
Regards..
adhbhut
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